जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा और आरती करने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं। भगवान विष्णु की आरती करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है इसलिए गुरुवार को भगवान विष्णु की आरती का महत्व बहुत अधिक है। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन श्रीहरि की उपासना करते हुए व्रत रखने से सुख समृद्धि धन वैभव की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। इस दिन विधि विधान से विष्णु भगवान की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान विष्णु की आरती कैसे करें?
सुबह उठकर नहाने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर की मंदिर का या फिर आप जिस मंदिर में पूजा करना चाहते हैं, वहां पर साफ सफाई करें। पूजा स्थल पर मंत्रों के साथ गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद भगवान विष्णु की स्तुति करें, मंत्र पढ़ें और चालीसा तथा आरती का पाठ करें।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु की आरती करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। आरती को हमेशा ऊंचे स्वर में और साफ उच्चारण के साथ गाना चाहिए।
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भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे, जय जगदीश हरे।।
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
विष्णुजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
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